Monday 9 May 2016

चुटकी भर लाल रंग

★ चुटकी भर लाल रंग ★





मैं खोई रहती हूँ अपने ख्यालों में,
व्यस्त रहती हूँ जीवन की उधेड़बुन में....!!
न मुझे दूसरों की खुशियों से ईर्ष्या है,
न अपने ग़मो से शिकायत।
मेरा जीवन अलबेला है मेरे लिए......!!


एक दिन ये सिलसिला बदल जाता है,
कोई टूटता तारा मेरे जीवन की दिशा बदल कर
एक नई राह की ओर ले जाता है!!
हम दोनों साथ-साथ चलने लगते है।
आखिर थक कर मैं पूछ बैठती हूँ.......,,


 "मंजिल कहाँ है ...?"

*वो* मुस्कुरा के फेला देता है अपनी दोनों बाहें

 *मैं* अपनी नादानी पर हँसती हूँ, शरमा जाती हूँ
 सिमट जाती हूँ अपने ही आँचल मे,
*वो* कुछ कहते नही, ......बस पास आकर
 पवित्र मन से "चुटकी भर लाल रंग"
 भर देता है मेरी सूनी मांग में।।

एक अटूट बंधन में ....
न जाने कब बांध लेता है अपने से मुझे हमेशा के लिए




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