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Friday 3 June 2016
Thursday 19 May 2016
Dard bhari shayari
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी;
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी;
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने;
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी।
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वो लफ्ज कहाँ से लाऊं...
जो तेरे दिल को मोम कर दे...,
मेरा वजूद पिघल रहा है...
तेरी बेरूखी से..!!
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"अगर मुझसे मोहब्बत थी तो बताया होता **
कभी थोड़ा सा ही लेकिन ये जताया होता
इस तरह आज तमाशा ना सरेआम बनता *
थोड़ा सा हौसला जो तुमने दिखाया होता '
Tuesday 17 May 2016
Dard shayari
है इश्क एक गुनाह तो ये गुनाह कर लिया..
तेरे दर्द से इस दिल को तबाह कर लिया..
गम बहुत हैं जिंदगी में, इसलिए जाने जां,
खामोशियों से ही प्यार बेपनाह कर लिया.. ...
तेरे दर्द से इस दिल को तबाह कर लिया..
गम बहुत हैं जिंदगी में, इसलिए जाने जां,
खामोशियों से ही प्यार बेपनाह कर लिया.. ...
प्यासी ये निगाहें तरसती रहती हैं;
तेरी याद में अक्सर बरसती रहती हैं;
हम तेरे ख्यालों में डूबे रहते हैं;...
और ये ज़ालिम दुनिया हम पे हँसती रहती है।
तेरी याद में अक्सर बरसती रहती हैं;
हम तेरे ख्यालों में डूबे रहते हैं;...
और ये ज़ालिम दुनिया हम पे हँसती रहती है।
जीत की खातिर बस जूनून चाहिए;
जिसमे उबाल हो ऐसा खून चाहिए;
ये आसमां भी आयेगा ज़मीं पर;
बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए।
Monday 9 May 2016
चुटकी भर लाल रंग
★ चुटकी भर लाल रंग ★
मैं खोई रहती हूँ अपने ख्यालों में,
व्यस्त रहती हूँ जीवन की उधेड़बुन में....!!
न मुझे दूसरों की खुशियों से ईर्ष्या है,
न अपने ग़मो से शिकायत।
मेरा जीवन अलबेला है मेरे लिए......!!
व्यस्त रहती हूँ जीवन की उधेड़बुन में....!!
न मुझे दूसरों की खुशियों से ईर्ष्या है,
न अपने ग़मो से शिकायत।
मेरा जीवन अलबेला है मेरे लिए......!!
एक दिन ये सिलसिला बदल जाता है,
कोई टूटता तारा मेरे जीवन की दिशा बदल कर
एक नई राह की ओर ले जाता है!!
हम दोनों साथ-साथ चलने लगते है।
आखिर थक कर मैं पूछ बैठती हूँ.......,,
कोई टूटता तारा मेरे जीवन की दिशा बदल कर
एक नई राह की ओर ले जाता है!!
हम दोनों साथ-साथ चलने लगते है।
आखिर थक कर मैं पूछ बैठती हूँ.......,,
"मंजिल कहाँ है ...?"
*वो* मुस्कुरा के फेला देता है अपनी दोनों बाहें
*मैं* अपनी नादानी पर हँसती हूँ, शरमा जाती हूँ
सिमट जाती हूँ अपने ही आँचल मे,
*वो* कुछ कहते नही, ......बस पास आकर
पवित्र मन से "चुटकी भर लाल रंग"
भर देता है मेरी सूनी मांग में।।
सिमट जाती हूँ अपने ही आँचल मे,
*वो* कुछ कहते नही, ......बस पास आकर
पवित्र मन से "चुटकी भर लाल रंग"
भर देता है मेरी सूनी मांग में।।
एक अटूट बंधन में ....
न जाने कब बांध लेता है अपने से मुझे हमेशा के लिए
न जाने कब बांध लेता है अपने से मुझे हमेशा के लिए
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