Tuesday 31 May 2016

बिन धागे की सुई सी बन गयी है ये ज़िंदगी, सीलती कुछ नहीं, बस चुभती चली जा रही है..!!





बिन धागे की सुई सी बन गयी है ये ज़िंदगी,
सीलती कुछ नहीं, बस चुभती चली जा रही है..!!



तुम्हारे आने तलक हम को होश रहती है,
फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती.




हाथ पकड़ कर रोक लेते अगर,
तुझ पर ज़रा भी ज़ोर होता मेरा,
ना रोते हम यूँ तेरे लिये,
अगर हमारी ज़िन्दगी में तेरे सिवा कोई ओर होता..
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