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Saturday 11 June 2016
Sunday 5 June 2016
वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे
एक दिन तकदीर ने यह कहकर बढ़ी तसल्ली दी मुझे....
क़ि, वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे,
जिन्हें मेने तुजसे दूर कर दिया।
क़ि, वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे,
जिन्हें मेने तुजसे दूर कर दिया।
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मैं कैसे उस शख्स को रुला सकता हूँ…
जिसे शख्स को मैंने खुद रो-रो कर मांगा हो…
मैं कैसे उस शख्स को रुला सकता हूँ…
जिसे शख्स को मैंने खुद रो-रो कर मांगा हो…
जब जेब में रुपये हो तो दुनिया आपकी औकात देखती है,
और जब जेब में रुपये न हो तो दुनिया अपनी औकात दिखाती है….
और जब जेब में रुपये न हो तो दुनिया अपनी औकात दिखाती है….
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उसके चेहरे पर इस क़दर नूर था,
कि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर था,
बेवफा भी नहीं कह सकते उसको ज़ालिम,
प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था।
Saturday 4 June 2016
वफ़ा का दरिया
वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही,
इश्क़ में प्रेमी कभी झुकता नही,
खामोश हैं हम किसी के खुशी के लिए,
ना सोचो के हमारा दिल दुःखता
नहीं!.. ...
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हर गुनाह "कबुल" है....
"हमें",
बस "शर्त" ये है कि...
"सज़ा देने वाला"......
"बेक़सूर हो"।
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चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका..
डर है कहीं कह ना दे की
ये हक तुम्हे किसने दिया…
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