Sunday 5 June 2016

वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे




एक दिन तकदीर ने यह कहकर बढ़ी तसल्ली दी मुझे....
क़ि, वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे,
जिन्हें मेने तुजसे दूर कर दिया।
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मैं कैसे उस शख्स को रुला सकता हूँ…
जिसे शख्स को मैंने खुद रो-रो कर मांगा हो…

जब जेब में रुपये हो तो दुनिया आपकी औकात देखती है,
और जब जेब में रुपये न हो तो दुनिया अपनी औकात दिखाती है….

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उसके चेहरे पर इस क़दर नूर था,
कि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर था,
बेवफा भी नहीं कह सकते उसको ज़ालिम,
प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था।

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