Saturday 4 June 2016

वफ़ा का दरिया



वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही,
इश्क़ में प्रेमी कभी झुकता नही,
खामोश हैं हम किसी के खुशी के लिए,
ना सोचो के हमारा दिल दुःखता
नहीं!.. ...

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हर गुनाह "कबुल" है....
"हमें",
बस "शर्त" ये है कि...
"सज़ा देने वाला"......
"बेक़सूर हो"।

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चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका..
डर है कहीं कह ना दे की
ये हक तुम्हे किसने दिया…
















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